बुधवार, 16 अगस्त 2017

राष्‍ट्रभक्ति की नींव डालनी होगी (गीतिका)

 
पदांत- होगी अब
समांत- अनी

मुक्‍तक लोक में प्रकाशित रचना
राष्ट्रभक्ति की नींव डालनी होगी अब.
बचपन से ही प्रीत पालनी होगी अब.

देने होंगे बचपन से सुसंस्कार भी,
घर की’ अस्मिता भी सँभालनी होगी अब.

होना होगा प्रशिक्षित, आत्मरक्षा को,
नारी को क्षमता निखारनी होगी अब.

स्वावलंबी’ बनना होगा हर बाला को,
अबला की सूरत उतारनी होगी अब.

नारी है समर्थ उसकी नभ तक उड़ान,
महिलाओं की युद्ध वाहिनी होगी अब.

मंगलवार, 15 अगस्त 2017

सान्निध्य: जय श्री' कृष्‍णा


सान्निध्य: जय श्री' कृष्‍णा: गीतिका छंद- पियूष निर्झर (छंद लहरी) पदांत- जय श्री' कृष्‍णा समांत- आया मापनी- 2122  2122  2122 नंद घर आ, नंद आया, जय श्री’ क...