रविवार, 20 नवंबर 2016
मंगलवार, 8 नवंबर 2016
तैलंगकुलम् समाज का षष्ठ लाइफ टाइम अचीवमेंट एवं प्रतिभा सम्मान समारोह सोल्लास सम्पन्न
बाल
प्रतिभाओं, संगीतकार, चित्रकार,साहित्यकारों को भी विभिन्न सम्मानों से सम्मानित
किया गया। 3 पुस्तकों का भी लोकार्पण
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समारोह के अध्यक्ष पं. कलानाथ शास्त्री कार्यक्रम में पधारते हुए |
जयपुर।
6 नवम्बर, 2016 सायं 4 बजे से सूचना केंद्र, जयपुर में तैलंगकुलम् समाज का
प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला लाइफटाइम एचीवमेंट एवं प्रतिभा सम्मान समारोह,
विशेष गरिमा के साथ आरंभ हुआ.
कार्यक्रम
के मुख्य अतिथि थे समाज के ही वरिष्ठ ख्यातनाम पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री मुरलीधर गोस्वामी,
पूर्व न्यायाधीश श्री विनय गोस्वामी, प्रख्यात उद्घोषक श्री प्रभात
गोस्वामी और समारोह अध्यक्ष राष्ट्रपति से सम्मानित संस्कृत मनीषी पं. कलानाथ
शास्त्री. तैलंगकुलम् के सचिव श्री भानुस्वरूप गोस्वामी ने बताया कि प्रतिभा सम्मान
समारोह के षष्ठम संस्करण की एक और विशेषता
है कि हमारे वरिष्ठ समाजसेवी एवं
संस्कृत साहित्य मनीषी पं; कलानाथ शास्त्री सभी छ: सम्मान समारोह में उपस्थिति
गरिमामयी उपस्थिति रही है, जिनके मार्गदर्शन में हर वर्ष यह समारोह गौरवान्वित हुआ
है।
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सरस्वती वंदना करते श्री सर्वोत्तम भट्ट |
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कार्यक्रम का आरंभ सरस्वती पूजन और दीप प्रज्ज्वलन से करते कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री एम.डी. गोस्वामी एवं श्री कलानाथ शास्त्रीसाथ में तैलंगकुलम् के अध्यक्ष श्री यदुनाथ भट्ट |
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पिछले एक वर्ष में समााज की दिवंगत विभूतियों को श्रद्धांजलि
देते अतिथिगण |
कार्यक्रम
का आरंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के पूजन और दीप प्रज्ज्वलन के साथ आरंभ
हुआ. तत्पश्चात् लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किये जाने वाले शहर के
प्रख्यात सुगम संगीत गायक समाज के वरिष्ठ नागरिक श्री सर्वोत्तम भट्ट के विनायक
वंदन और सरस्वती वंदना गाई गयी. हर वर्ष की भाँति पिछले समारोह से वर्तमान समारोह
के मध्य वर्ष में समाज के दिवंगत विभूतियों को सम्मान स्वरूप याद किया गया और
दो मिनिट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि प्रदान की गयी. इसके बाद विधिवत्
कार्यक्रम का शुभारंभ पधारे अतिथियों का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया.
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तैलंगकुलम् के सचिव श्री भानुस्वरूप गोस्वमी तैलंगकुलम के वर्ष भर काा लेखे-जोखा प्रस्तुत करते हुए |
सर्वप्रथम तैलंगकुलम् के सचिव श्री भानुस्वरूप गोस्वमी द्वारा तैलंगकुलम के वर्ष
भर के लेखेजोखे एवं अभी तक आयोजित सम्मान समारोह के बारे में संक्षिप्त ब्योरा
प्रस्तुत किया गया. उन्होंने बताया कि इस षष्ठ संस्करण तक समाज के 150 से अधिक
बाल प्रतिभाओं, 20 से अधिक वयोवृद्ध प्रतिभावान समाज के व्यक्तियों को लाइफटाइम
अचीवमेंट सम्मान से सम्मानित किया गया. अनेकों संगीतकारों, साहित्यकारों
चित्रकारों को सम्मानित किया गया. इन कार्यक्रमों में हुए खर्च का भी उन्होंने
ब्योरा देते हुए कहा कि किन विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए समाज द्वारा
अनुदान स्वरूप, सदस्यता के माध्यम से अथवा अन्य किसी भी स्वरूप में प्राप्त
धनराशि से बचा कर इस कार्यक्रम को आयोजित किया जाता है। तैलंगकुलम् केे पास आय और व्यय का एक-एक पैसे का हिसाब मौजूद है. यह समारोह और अधिक भव्य तरीके से आयोजन
करने की आवश्यकता है किन्तु अर्थसाध्य होने के कारण इसे कराने के लिए धन संचय
की आवश्यकता है. जिसके लिए उन्होंने समाज के सभी उपस्थित समाज बंधुओं से आग्रह
किया कि समाज के
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दूरदर्शन/समाचार प्रतिनिधि कोइस समारोह के बारे में विस्तृत विवरण व साक्षात्कार देते हुए सचिव श्री भानुस्वरूप गोस्वामी |
इस छोटे से स्वरूप को और अधिक उन्नत ओर विकसित बनाने के लिए
अधिक से अधिक आर्थिक सहयोग दें, ताकि इसे और अधिक सम्पन्नता के साथ आयोजित किया
जा सके और निकलने वाली त्रैमासिक पत्रिका को भी अनवरत चलाया जा सके. इसी के साथ इस समारोह की परिचायिका का सभी अतिथियों द्वारा लोकार्पण कर उपस्थित समस्त समाज बंधुओं में वितरित किया गया.
कार्यक्रम
में थोड़ा बदलाव करते हुए मुख्य अतिथि, अध्यक्ष समारोह का वक्तव्य पहले करवाया
गया. यह कदाचित् इसलिए करवाया गया कि प्रतिभाओं द्वारा सम्मान लेने के बाद एक
दूसरे से मिलने, अपने नियत कार्यक्रम के कारण समारोह से प्रस्थान करने से उत्पन्न
व्यवधान के कारण अव्यवस्था का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उनके अमूल्य सम्बोधनों
पर ध्यान नहीं दिया जाता.
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मुख्य अतिथि द्वारा अभिभाषण |
सर्वप्रथम
मुख्य अतिथि पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री मुरलीधर गोस्वामी द्वारा वक्तव्य में
बताया गया कि हमारा समाज बहुत ही प्रबुद्ध और विविध आयामी व्यक्तित्व का धनी है.
प्रबुद्ध लोग संगठित नहीं रहते, स्वान्त:सुखाय अकेला रहना पसंद करते हैं, इसलिए
सामाजिक कार्यक्रमों में इस तरह के आयोजनों, समाजपरक उन्नयन के लिए उनके मतभेद
बने रहते हैं, समाज में पिछले वर्षों से सम्मानित किये जाने वाली प्रतिभाओं के
अतिरिक्त्ाा कई सम्मानों का और विस्तार किया जाए. बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जिन
पर हमारा ध्यान नहीं गया है, उन्होंने कुछ नाम भी लिये जैसे नीलकंठजी गोस्वामी,
चंद्रशेखर गोस्वामी, डीन स्तर के उदयपुर के सुखाड़िया विश्वविद्यालय के
शिक्षाविद् अंकित गोस्वामी, जिन्होंने सैंकड़ों लोगों को पीएच.डी. दिलवाई है,
लंदन के एक संस्थान में प्रबंधन के क्षेत्र में निलंब शर्मा जी वर्षों वहाँ पढ़ा
रही हैं, मुकुल गोस्वामी जिन्होंने डेविस कप में कामेंट्री की है हमेशा, व्यवसाय
के क्षेत्र में आई.सी.एम. जैसे संस्थान में राजीव गोस्वामी ने वर्षों तक कार्य
किया
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समारोह में उपस्थित समाज का महिला वर्ग |
और अब स्वतंत्र अपना व्यवसाय कर रहे हैं जिनके विदेशों में 30 से ज्यादा शहरों में ऑफिस हैं तथा स्टे.डॉटकॉम से उनकी वेबसाइट भी है, व्यवसाय के क्षेत्र में, दिल्ली में निवास कर रहे श्री कैलाशचंद्र गोस्वामी शिक्षाविद् हैं, जो आज यहाँ सम्मानित होने थे, आज नहीं आ पाये हैं, उनके पुत्रों का मेहँदी का व्यवसाय विदेशों में बहुत फैला हुआ है, उन्हें भी सम्मानित किया जाना चाहिए. यह सब तैलंगकुलम् को देखना है कि उन्हें कैसे सम्मानित किया जाए. हालाँकि उन्हेांने कहा कि यह समारोह अर्थसाध्य होने के कारण आयोजकों के समक्ष अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए एक कल्याण कोष की स्थापना की जानी चाहिए. जिसके माध्यम से समाज के गरीब घरों के बच्चों के विवाह आदि में, बेरोजगार युवकों युवतियों को रोजगार उपलब्ध करवाने जैसाा कार्य , गंभीर बीमारी के लिए मदद करने जैसेे कार्य किये जा सकते हैं. तैलंगकुलम् पत्रिका में ऐसे लोगों का परिचय तो दिया ही जा सकता है, इसके लिए पत्रिका में एक-दो पृष्ठ बढ़ाए जा सकते हैं, ताकि समाज को इन प्रतिभाओं के बारे में जानकारी प्राप्त हो. उच्च शिक्षा के लिए प्रतिभाओं को एक पुरस्कार के माध्यम से सहायता देने की उन्होंने घोषणा की, जिसका समारोह में उपस्थित समाज के लोगों ने ताली बजा कर स्वागत किया.
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अध्यक्षीय उद्बोधन देते वयोवृद्ध संस्कृत मनीषी पं; कलानाथ शास्त्री |
अपने
अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्ट्रपति से सम्मानित एवं समाज के वयोवृद्ध संस्कृत मनीषी
पं; कलानाथ शास्त्री ने तैलंग स्तुति के पश्चात् के बाद कहा कि वे बहुत ही
प्रफुल्लित है, गौरव का अनुभव कर रहे हैं, इस कार्यक्रम की विशेषता रही है कि आज
इस कार्यक्रम में मंचासीन विशेषज्ञ अतिथियों में कोई राजनेता नहीं था, जैसा कि
प्रचार के लिए ऐसा किया जाता है. हमारे जाति में तैलंगकुल का द्रविड़ परिवार में
जो पाँच द्रविड़ हैं, उनमें तैलंग कुल का अद्भुत इतिहास रहा है, इनमें अनेकों
मनीषियों का शिखर इतिहास रहा है, तत्कालीन अनेक राज परिवार उन्हें यहाँ गुरू
बनाकर लाए, सम्मानित किया और शिखर पदों पर उन्हें आसीन किया. एक और विशेषता का
और उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह अपने घर का ही कार्यक्रम है, इसलिए यह
कहते हुए शर्म नहीं हो रही कि हमारे समाज में अनेकों शीर्षस्थ साहित्यकार, कवि,
चित्रकार, संगीतकार रहे हैं किन्तु राजनेता कोई नहीं रहा, राजनीति जैसे प्रदूषित
क्षेत्र में कोई नहीं है जिससे शर्म नहीं हमें गर्व है कि हम ऐसे प्रदूषित क्षेत्र
में नहीं हैं, आरक्षण के क्षेत्र में हो रही सियासत का भी उन्होंने उल्लेख किया.
उन्होंने एक कीर्तिमान का जिक्र करते हुए कहा है कि विश्व में ब्राह्मण जाति का 5000
वर्षों का इतिहास तो अभिलिखित/डाक्यूमेंटेड है, जिसके लिए विश्व में आश्चर्य
किया जाता है कि ब्राह्मण की आरंभ से ले कर आज तक का इतिहास वंशावली के रूप में
उपलब्ध है. यह गौत्र के कारण संभव हो पाया है, सुरक्षित गोत्र, प्रवर के कारण
ही हमने अपनी वंशावली सुरक्षित रखी है.
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समारोह का आनंद लेते समाज बंधु |
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रामादेवी भट्ट स्मृति संस्कृति संवर्द्धन सम्मान के साथ महिला विभूति श्रीमती राधादेवी भट्ट के साथ अन्य अतिथि गण |
अभिभाषण
के बाद सम्मान प्रदान करने का सिलसिला आरंभ हुआ. सर्वप्रथम रामादेवी भट्ट स्मृति संस्कृति संवर्द्धन सम्मान दिया गया। यह
सम्मान समाज की एक ऐसी महिला विभूति को दिया
जाता है, जिसने जीवन पर्यन्त सामाजिक सांस्कृतिक और परम्पराओं का निर्वहन कर
अपनी अथक यात्रा में पूरे समर्पण के साथ समाज को एक दिशा प्रदान की. इस वर्ष का यह
पुरस्कार/सम्मान श्रीमती राधा देवी भट्ट को दिया गया जो प्रख्यात सितार वादक स्व.
शशिमोहन भट्ट की पत्नी हैं.
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श्री अशोक आत्रेय लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड लेते हुए |
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श्री रविमोहन भट्ट लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार लेते हुए |
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श्री गोकुल गोस्वामी लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार लेते हुए |
श्री सर्वोत्तम कुमार भट्ट,78 वर्षीय चर्चित एक ऐसा नाम जो कभी म्यूजिकल नाइटस में मो. रुफी के गानों के लिए पहचाने जाते थे. इस समारोह का आरंभ गणेश वंदना और सरस्वती वंदना भी इन्होंने किया था. दूरदर्शन जयपुर के सीरियल्स में आपने टाइटल गीत गाये हैं, आपने राजस्थानी कई नाटकों यथा जेठव-ऊजली, लैला-मजनूँ, स्वप्नवासवदत्ता (संस्कृत) में पार्श्वगायन भी किया है. आपको संगीत नाटक अकादमी द्वारा'कला पुरोधा' सम्मान से, फूलचन्द भट्ट समारोह में भजन सम्राट् उपाधि और संस्कार भारती द्वारा 'भजनकार' की उपाधि से नवाजा जा चुका है.
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शोध शास्त्री सम्मान लेती देवर्षि पल्लवी भट्ट |
इसी क्रम में शोध शास्त्री सम्मान के तहत देवर्षि पल्लवी भट्ट, जयपुर को वनस्थली विद्यापीठ से सीक्योर लोकलाइज़ेशन इन मोबाइल सेन्सर इक्विपमेंट्स पर वर्ष 2016 में सफलतापूर्वक शोध पूर्ण करने पर दिया गया. एक अन्य प्रतिभा श्री सौरभ भट्ट, जयपुर को राज. विश्वविद्यालय, नाट्य विभाग जयपुर की लोकनाट्य तमाशा शैली का परिवर्तित स्वरूप एवं परिवर्तन विषय पर वर्ष 2016 में शोध पूर्ण करने पर दिया गया.
आगे
साहित्य निधि सम्मान के तहत श्री शशिकान्त गोस्वामी, बीकानेर को ड्राइंग,
पेंटिंग, कार्टून, लघुचित्र एवं विज्ञापन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के
लिए, जयपुर की पुष्पा गोस्वामी को साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में अविस्मरणीय
योगदान के लिए दिया गया, उन्होंने बर्लिन (जर्मनी) से जर्नलिस्म में
डिप्लोमा
कर सोवियत रूस, फ्रांस, जर्मन के अनेक शहरों की यात्राएँ कीं, कला पर्यटन संस्कृति
एवं समसामयिक विषयों पर उनके लेख, फीचर, रिपोर्ताज, साक्षात्कार आदि राष्ट्रीय
स्तर के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए, इनका कहानी संग्रह मृगतृष्णा,
काव्य संग्रह अनाहत नाद प्रकाशित हुए. आपने आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के लिए कई वृत्तचित्र
भी बनायें वे राज्य के लोक सम्पर्क विभाग में सहायक निदेशक के पद पर पदासीन है
तथा उसकी मासिक पत्रिका राजस्थान सुजस की सम्पादक भी रह चुकी हैं. एक अन्य
प्रतिभा श्रीमती सुधागोस्वामी, जयपुर-भिलाई, अनेकों प्रकाशनों के लिए पुस्तकें
लिख चुकी हैं, जिनमें उपकार प्रकाशन की ‘भारत की चर्चित्ाा महिलाएँ, 17 बाल कथाएँ,
राजस्थान पत्रिका प्रकाशन की बाल कहानियाँ, उपकार प्रकाशन के राजस्थान करेंट
अफेयर्स, राजस्थान इतिहास और संस्कृति, अनामय प्रकाशन की ‘रोचक कहानियाँ’, वांग्मय
प्रकाशन की ‘ताईजी की कहानियाँ’ प्रमुख हैं, ‘बीता बचपन बीती यादें’ शीर्षक से
संस्मरणों का एक धारावाहिक बाल पत्रिका ‘बालहंस’ 17 किश्तों में प्रकाशित
हो
चुका है. इन्हें अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद स्मृति दिव्य रजत अलंकरण से भी
नवाजा जा चुका है. डा. ईशा भट्ट ने बनस्थली को भी इस सम्मान के लिए चयन किया
गया. उन्होंने बनस्थली विद्यापीठ से टैक्सटाइल डिजाइनिंग में मास्टर्स डिग्री की
व गोल्ड मेडलिस्ट रहीं, उन्होंने प्रयाग संगीत समिति इलाहबाद से संगीत में
डिप्लोमा भी किया है, वस्त्र आकलन में पीएच.डी भी बनस्थली विद्यापीठ से पूर्ण
की. वस्त्र परिधान पर उनकी पुस्तक वस्त्र एवं परिधान : एक परिचय पुस्तक का
लोकार्पण भी इसी समारोह में किया गया. वे वनस्थली विद्यापीठ में वर्तमान में
सहायक प्रोफेसर इंटीट्यूट आफ डिजायनिंग विभाग में कार्यरत हैं. आपने जहाँगीर आर्ट
गैलरी सहित कई कला दीर्घा में अपनी प्रदर्शिनयाँ लगाई हैं.
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साहित्य निधि सम्मान लेतीं श्रीमती पुष्पा गोस्वामी |
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साहित्य निधि सम्मान लेती डा. ईशा भट्ट |
विशिष्ट
कला साधना सम्मान के तहत जयपुर के श्री राजीव भट्ट को संगीत के क्षेत्र में विशिष्ट
योगदान के लिए सम्मानित किया गया. आप पिछले तीस वर्षों से अपनी भट्ट घराने के ऐतिहाकि
संगीत विरासत को सँभाले हुए हैं, आप दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के बी- हाई ग्रेड के नियमित
कलाकार हैं. इन्होंने अनेकों पूर्णांकी फिल्मों, लघु/टी.वी. फिल्मों,
धारावाहिकों में संगीत दिया है, नया सवेरा, प्रिया, महापाप, हासा ही हासा (पंजाबी),
आदि प्रमुख हैं. दूरदर्शन केंद्र जयपुर के संगीत के रियेलिटी शो ‘गा मेरे संग गा’ तथा
‘गीत गाता हूँ मैं’ आपका संगीत संयोजन है. उनके संगीत निर्देशन में टी सिरीज़ की
कई केसेट्स व सीडीज जारी हुई हैं, ईटीवी राजस्थान के धारावाहिक ‘चलते-चलते’, ‘जनता
एक्सप्रेस’, ‘तारा रम पम’, ‘मि. श्रीमती’, ‘ईना मीना डीका’, ‘बचपन के दिन’, ‘अन्नदाता’,
‘केम्पस’, ‘हम किसी से कम नहीं’ तथा ‘सुरीला राजस्थान’ बहुत प्रशंसित रहे हैं.
राजीव ने अनेक शिष्य बनाये हैं, वे डीएनए द्वारा एक्सॉल्टेड
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विशिष्ट कला साधना सम्मान लेतेे श्री रविशंकर भट्ट तैलंग |
तैलंगकुलम् के सर्वप्रिय रंग-पथिक
सम्मान के तहत श्री दिलीप भट्ट, जयपुर, श्री तपन भट्ट, जयपुर, श्री अभिषेक गोस्वामी,
जयपुर, श्री अनुकल्प गोस्वामी, मुम्बई, श्री राजीवलोचन गोस्वामी, जयपुर और श्री
नितिन गोस्वामी, मुम्बई को सम्मानित किया गया.
श्री दिलीप भट्ट, लोकनाट्य तमाशा
घराना के उन्नयन और उत्थान के लिए नई नई परिकल्पनाओं व शोध आधारित परिवर्तन के
साथ तमाशा शैली को जीवंत बनाये हुए हैं, अब तक वे दो दर्जन नाटकों के अनेकों
प्रदर्शन कर चुके हैं, उन्होंने इस शैली को विदेश तक पहुँचाया है. वे अपने दल के
साथ 2010 में इंग्लेण्ड गये. आपने 1999-2000 में जूनियर फेलोशिप व 2009-10 में
सीनियर फैलोशिप प्राप्त कर भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा सम्मान प्राप्त
किया.
श्री
तपन भट्ट भी तमाशा के प्रवर्तक दानि शिरोमणि बंसीधरजी की चौथी पीढी के प्रतिनिधि
हैं. अपनी विरासत को आगे बढ़ाते हुए श्री तपन आधुनिक प्रयोगों के लिए जाने जाते
हैं. जाने माने रंगकर्मी एवं तमाशागुरु वासुदेव भट्ट के आप पुत्र हैं. थियेटर पर
शोध के लिए भारत सरकार के संस्कृति विभाग ने इन्हें रिसर्च फैलोशिप प्रदान की
है. लेखन, निर्देशन, अभिनय, नुक्कड़, कॉमेडी, फिल्म, टी.वी. धारावाहिक, संवाद व
पटकथा लेखन के धनी एक उत्कृष्ट रेडियो जॉकी भी हैं. प्रख्यात टी.वी.
कार्यक्रमों यथा स्टार के फुल टॉस, जी.टी.वी के शन्नो की शादी, ईटीवी के जनता
एक्सप्रेस, दूरदर्शन के अजब गजब, एफएम तड़का के ‘कमला भी कभी कामिनी थी’ आदि
प्रमुख हैं, आपने 2 लघु फिल्में हिस्ट्री, अपराधी भी बनाई
हैं. आजकल वे 91.1 एफ
एम में रेडियो जॉकी हैं, जो ‘खब्ती जयपुरी’ के चरित्र में मनोरंजन कर रहे हैं.
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रंग पथिक सम्मान के साथ अभिषेक गोस्वामी. अपना सम्मान उन्होंने अपनी माता को समर्पित किया. माँँ के साथ सम्मान लेते हुए |
एक
अन्य प्रतिभा श्री अभिषेक गोस्वामी अपने रंगकर्म को ही उपार्जन का साध्य बनाने
वाले प्रतिबद्धता के साथ कर्मनिष्ठ बने हुए हैं. थियेटर के जाने माने विश्वविख्यात
रंगकर्मी बी.वी.कारंथ, मोहन अगाशे, हबीब तनवीर, बेरी जॉन, कीर्ति जैन, त्रिपुरारि
शर्मा, अब्दुल लतीफ आदि के निर्देशन में अपने 50 से भी अधिक नाटकों में अभिनय कर
चुके हैं. बतौर निर्देशक भी इतने ही नाटकों में काम किया है. मस्कट (ओमान) में 20
दिवसीय थियेटर वर्कशॉप, बीजिंग (चीन) में थियेटर शो, प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम
में हिस्सा लिया. वहाँ आयोजित प्रेमचंद स्मृति
अंतर्राष्ट्रीय नाट्य समारोह में नाटक ‘बूढ़ी काकी’ में अभिनय के लिए उन्हें
श्रेष्ठ अभिनेता का खिताब मिला. वर्तमान में अभिषेक अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन में
एक एन एक्सपर्ट इन ड्रामा इन ऐज्यूकेशन तथा बहैसियत स्टेट रिसोर्स पर्सन कार्य
कर रहे हैं.
मुंबई
के श्री अनुकल्प गोस्वामी जयपुर के रह कर दीक्षित की लंबी रंगकर्म यात्रा का
परिणाम था कि उनकी कहानी पर बनी प्रख्यात निर्देशक अब्बास मस्तान की फिल्म ‘किस
किस को प्यार करूँ’ रही. इस समय अनुकल्प उच्चतम टीआरपी वाले कॉमेडी शो ‘द कपित
शर्मा शो’ जिसके 50 शो हो चुके हैं में स्क्रिप्ट राइटिंग कर रहे हैं, इससे पहले
भी उन्होंने कॉमेटी नाइट् विद कपिल के लिए भी काम कर चुके हैं जिके 200 शो हुए
हैं, 20 से भी अधिक शोध परक राइटिंग वाले नॉन फिक्शन शोज भी किये हैं जिनमें
सर्वाइवर इंडिया, कॉमेडी का महा मुकाबला, इंडियन आइडियल-2 आदि प्रमुख हैं, धारावाहिकों ‘अनामिका’ (200 एपीसोड्स), जुनून (डेली
शोप), ‘कहानी घर-घर की, कुसुम, ‘के-स्ट्रीट पाली हिल’, ‘कहीं तो मिलेंगे’, ‘शन्नों
की शादी’, ‘करीना-करीना’ आदि उल्लेखनीय हैं. इन्हें लगभग सभी प्रमुख एवार्ड
समारोह जैसे फिल्मफेयर, जी सिने, स्टार स्क्रीन, बिग स्टार एन्टरटेनमेंट,
गिल्ड अवार्ड, पर्ल वूमने एचीवर, इंडियन टेली अवार्ड आदि अनेको समारोह में सम्मानित
किया गया है. वे एक शूटिंग में व्यस्त रहने के कारण तैलंगकुलम् के इस समारोह में
उपस्थित नहीं हो सके थे.
जयपुर
के राजीवलोचन गोस्वामी भी रंगकर्म की अपनी अथक यात्रा में संलग्न हैं. इन्होंने
चाणक्य फेम निदेशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी की जेड प्लस में अभिनय किया. कई फिल्मों
व धारावाहिकों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया, उनकी विजयदान देथा की कहानी ‘बेंड मास्टर’
पर आधारित धर्मेन्द्र उपाध्याय निर्देशित फिल्म इसी माह रिलीज होने वाली है.
आजकल आप फ्रेंच टीवी सीरियल ‘फेस पा सी फैस पश का’ जो कि फ्रेंच नेशनल चैनल पर
प्रसारित होगी के लिए काम कर रहे हैं. वे अनेकों साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में छपे
हैं तथा वे जिन्जरक्रशडॉटकॉम के माध्यम
से टी’शर्ट्स पर ऑनलाइन डिजाइनिंग का काम भी कर रहे हैं.
बीकानेर में जन्मे और
मुंबई में व्यस्त श्री नितिन गोस्वामी रंगकर्म के क्षेत्र में बहुआयामी व्यक्तित्वधारी
हैं. वे पटकथा एवं संवाद लेखन के साथ साथ ग्राफिक डिजायनर, अभिनेता, निर्माता एवं
परिकल्पना व अन्तर्वस्तु की रचना करने में दक्ष हैं. टेलिविजन इंडस्ट्री में
दस वर्ष कार्य के दौरान प्रख्यात धारावाहिकों ‘कहानी घर-घर की’, ‘आहट-2’, ‘ममता’,
‘कयोकि सास भी कभी बहू थी’, ‘वैदेही’, ‘अकेला’, ‘एक लड़की अनजानी सी’, ‘कज्जल’
आदि का संवाद लेखन का प्रभावी कार्य किया है. सुुहाना सफर विद अन्नू कपूर, पाकिस्तानी
चैनल का ‘क्लीयर सिक्स’, जूनून कुछ कर दिखाने का, चक धूम-धूम 1 व 2, मोहे रंग
दे, आदि उनके उल्लेखनीय चैनल प्रोग्राम्स में उनके संवाद ही हैं. बेहतर स्टेज डिजायनर
के रूप में विदेशों में भी अन्नूकपूर की कं. के साथ अनेकों शो में क्रियेटर डाइरेक्टर
के रूप में काम किया जिनमें ट्रिब्यूट टू राजेश खन्ना (लाइव शो) प्रमुख है. अन्नू
कपूर के कई अंतयाक्षरी कार्यक्रम में भी उनका कार्य श्लाघनीय रहा है. आपने फीचर
फिल्मों रन फोर फन, डीडी-1 की टेलि फिल्म्, , दादू अमर लीला, आदि में काम किया
है. नितिन को 2002-04 के लिए यंग आर्टिस्ट इन द फील्ड ऑफ थियेटर के नेशनल स्कॉलरशिप,
डिपार्टमेंट ऑफ ड्रामेटिक्स राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा स्वर्ण पदक तथा
सुहाना सफर विद अन्नू कपूर के लिए गोल्डर माइक्स अवार्ड 2015 भी मिल चुका है.
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डा. ईशाभट्ट की पुस्तक का विमोचन करते अतिथि गण एवं लेखिका |
इसके
बाद तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया गया. डा. गोपाल कृष्ण भट्ट के गीत संग्रह ‘नवभारत का स्वप्न सजाएँ’, श्री
ओमप्रकाश गोस्वामी की नरी के कुलदेव बलदाऊजी पर शोध परक पुस्तक ‘बलदेवचरितम्’ और
डा. ईशा भट्ट की ‘वस्त्र एवं परिधान- एक परिचय’ पुस्तक का विमोचन किया गया. ‘बलदेवचरितम्’
सर्वपूज्य बलदाऊजी के जीवनचरित एवं उनकी शौर्यगाथा को केंद्र में रख कर कृति का
प्रणयन किया है. डा0 ईशा भट्ट की पुस्तक मानव जीवन शैली से सम्बद्ध विभिन्न
पहलुओं की सम-सामयिक संदर्भों में विवेचना का हित चिंतन है. परिधान मनुष्य के व्यक्त्त्वि
का आईना होता है. उसकी वेश-भूषा मनुष्य के मनोविज्ञान की सहज परख का संकेत देती
है. समय काल और परिस्थिति के अनुरूप मनुष्य वेशभूषा को अपनाता है. पहनावों में आए
परिवर्तनों व बदलावों की व्याख्या से यह पुस्तक ग्रहणीय बनी है.
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श्री सुशील गोस्वामी की अनुपस्थिति में उनके पुत्र को स्व. डा. प्रेमचंद्र गोस्वामी स्मृति पुरस्कार देतेे हुए श्री तटस्थ गोस्वामी एवं अतिथि गण |
श्री
तटस्थ गोस्वामी पुत्र स्व. श्री डा. प्रेमचंद्र गोस्वामी की ने अपने पिता स्व. डा. प्रेमचंद्र गोस्वामी की स्मृति में स्व. डा. प्रेमचंद्र गोस्वामी स्मृति पुरस्कार (नकद 5000/- रुपये) सन् 2015 से आरंभ किया.
आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वे प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार एवं चित्रकार थे,
इसलिए बारी-बारी से इन तीन क्षेत्रों में प्रतिवर्ष ये पुरस्कार दिये जाते हैं.
2015 का पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में चयनित साहित्यकार डा. गोपाल कृष्ण
भट्ट ‘आकुल’ कोटा को दिया गया था. इस बार चित्रकला के क्षेत्र में श्री सुशील गोस्वामी,
बीकानेर सम्प्रति मुंबई को फाइन आर्ट के क्षेत्र में उल्लेखनीय जीवन यात्रा पर
जूरी द्वारा चयन किये जाने पर दिया गया. आपकी चित्रकाला प्रदर्शनियाँ रेलिगरे
आर्ट्स-1 (दिल्ली), सेफ्रोन आर्ट (मुंबई), आर्ट ईटर्न (दिल्ली), रंग आर्ट गेलरी
(दिल्ली), आर्ट एंड फ्रेम्स (जयपुर),
सहित कई कला दीर्घाओं में लग चुकी है. दैनिक नवज्योति (यही है जिन्दगी) तथा
आउटलुक मेग्जीन (आईना) में स्तम्भकार भी रह चुके हैं। इनकी गिनती देश के लब्ध प्रतिष्ठित
चित्रकारों में रही है. श्री तटस्थ गोस्वामी ने इनकी अनुपस्थिति में उनके
प्रतिनिधि के रूप में उनके पुत्र को यह पुरस्कार दे कर सम्मानित किया.
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मेधावी विद्यार्थी सम्मान लेती छात्रा |
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मेधावी विद्यार्थी सम्मान लेती छात्रा |
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मेधावी विद्यार्थी सम्मान लेती छात्रा अक्षिता आत्रेय |
कार्यक्रम के अंत में सेण्ट्रल बोर्ड/क्षेत्रीय बोर्ड(सेकेण्डरी), क्षेत्रीय बोर्ड/सेंट्रल बोर्ड,(सीनियर सेकेण्डरी) के समाज के प्रतिभावान उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले 16 छात्र-छात्राओं को मेधावी विद्यार्थी सम्मान से सम्मानित किया गया. जो छात्र-छात्रा उपस्थित नहीं थे उनके प्रतिनिधि या परिवार के सदस्यों को यह सम्मान हस्तगत किया गया. प्रतिभा सम्मान की श्रेणी में श्रीमती भगवती देवी-ऋषिकेश गोस्वामी प्रतिभा प्रोत्साहन सम्मान नकद पुरस्कार श्री गणेश वल्लभ गोस्वामी प्रायोजित एवं स्व. सुश्री विनोद गोवामी पुत्री स्व. जयदेव लाल गोस्वामी बीकानेर स्मृति में उनकी बड़ी बहिन श्रीमती माला भट्ट पत्नी श्री महेन्द्रनाथ भट्ट द्वारा प्रायोजित थे. कार्यक्रम के अंत में श्री विनय गोस्वामी, पूर्व न्यायाधीश ने अपना बहुत ही संक्षिप्त वक्तव्य दिया और उपस्थित सभी महानुभावों का आभार प्रदर्शित किया.
कार्यक्रम का संचालन संबोध गोस्वामी ने किया. समारोह का समापन अल्पाहार व दीपावली स्नेहमिलन के रूप में सम्पन्न हुआ.
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समारोह से पूर्व विविध विद्वानों के साथ तैलंगकुलम् सचिव श्री भानुस्वरूप गोस्वामी. बाये से पूर्व भारतीय प्रशाासनिक अधिकारी श्री जगदीश शर्मा, कलानाथ शास्त्री से विमर्श करते हुए |
सभी चित्र 'तैलंगकुलम्' से साभार
सभी चित्र 'तैलंगकुलम् से साभार
सभी चित्र 'तैलंगकुलम्' से साभार
सभी त्रि 'तैलंगकुलम्' से साभार
सभी चित्र 'तैलंगकुलम् से साभार
सभी चित्र 'तैलंगकुलम्' से साभार
सभी त्रि 'तैलंगकुलम्' से साभार
सोमवार, 7 नवंबर 2016
सान्निध्य सेतु: तैलंगकुलम् के प्रतिभा सम्मान समारोह में 'आकुल' के...

शनिवार, 8 अक्टूबर 2016
तैलंगकुलम् का प्रतिभा सम्मान समारोह 6 नवम्बर, 2016 को जयपुर में
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तैलंगकुलम् का अक्टूबर 16 अंक |
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प्रतिभा-सम्मान:
1- राजस्थान एवं अन्य राज्यों के बोर्डों की दसवीं एवं बारहवीं परीक्षाओं वर्ष 2016 में 75 प्रतिशत या अधिक अंक लाने वाले मेधावी छात्र-छात्राएं मार्क्स-शीट की प्रमाणित प्रति एवं पासपोर्ट साइज की दो नवीनतम फोटो (एक समाचार-पत्र के लिए और दूसरी प्रमाणपत्र पर चिपकाने के लिए) भिजवाएं।
2-सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेन्डरी एजुकेशन(सी०बी०एस०इ०) की परीक्षाओं वर्ष 2016 में ए-प्लस या इससे ऊँची रैंक लाने वाले मेधावी छात्र-छात्राएं मार्क्स-शीट की प्रमाणित प्रति एवं पासपोर्ट साइज की दो नवीनतम फोटो (एक समाचार-पत्र के लिए और दूसरी प्रमाणपत्र पर चिपकाने के लिए) भिजवाएं। कृपया अपना मोबाइल/टेलीफोन नम्बर सूचित करें।
विशेष:
समाज के वरिष्ठ सदस्य श्री गणेश बल्लभ गोस्वामी ने 2015 से अत्यन्त मेधावी छात्र-छात्रा को अपने माता-पिता की स्मृति में भगवती देवी-श्री ऋषिकेश गोस्वामी शिक्षा पुरस्कार देने की घोषणा की है जिसके अन्तर्गत उनके द्वारा प्रति वर्ष 10000 रू. की राषि बतौर नकद पारितोषिक प्रदान की जाती है। इस बार क्षेत्रीय बोडर््स एवं केन्द्रीय बोर्ड की दसवीं व बारहवीं की परीक्षा में तीनों फेकल्टियों (आर्ट्स, कॉमर्स एवं विज्ञान) में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्षन करने वाले (कुल 6) तथा इन जनरल ओवरआल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्रा को (कुल 2) को 1100 रू. प्रति छात्र नकद प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
प्रविष्टि की अन्तिम तिथि तथा पता
प्रविष्टि 10 अक्टूबर, 2016 को सायं 5 बजे तक ‘अनुष्टुप, 13, गायत्री नगर, सोडाला, जयपुर-302006 अथवा 54/151, देवर्षि सदन, पंचवटी मार्ग, मान सरोवर, जयपुर-302020 के पते पर भिजवाएं। विलम्बित प्रविष्टियां अस्वीकार्य होंगी। कृपया अपना मोबाइल/टेलीफोन नम्बर सूचित करें।
विद्वज्जन सम्मान :
समाज द्वारा इस वर्ष साहित्य, संगीत और दृष्यकला (चित्रकला, रंगमंच, सिनेमा आदि) के क्षेत्र में विशिष्ठ अवदान करने वाले व्यक्तियों का सम्मान किया जाएगा। यह सम्मान विषय विषेषज्ञों की अध्यक्षता में गठित समिति के चयन के आधार पर किया जाएगा। पुरस्कार की निम्न केटेगरीज होंगी: -
लाइफ टाइम एचीवमेन्ट अवार्ड, 2016:
साहित्य, संगीत और दृष्यकला (चित्रकला, रंगमंच, सिनेमा आदि) के क्षेत्र में कार्य करते हुए न्यूनतम 30 वर्ष पूरे कर लिए हों तथा उनकी आयु 65 वर्ष या उससे अधिक हो।
साहित्य-निधि सम्मान:
साहित्य के क्षेत्र में कार्य करते हुए न्यूनतम 25 वर्ष पूरे कर लिए हों तथा उनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो।
विशिष्ठ कला-साधना सम्मान:
संगीत और दृष्यकला (चित्रकला, कार्टून, आदि विधाओं) के क्षेत्र में कार्य करते हुए न्यूनतम 25 वर्ष पूरे कर लिए हों उनकी आयु 45 वर्ष या उससे अधिक हो।
रंग-पथिक सम्मान:
रंगमंच, सिनेमा (अभिनय, लेखन, निर्देशन) आदि के क्षेत्र में कार्य करते हुए न्यूनतम 20 वर्ष पूरे कर लिए हों तथा उनकी आयु 40 वर्ष या उससे अधिक हो।
उपर्युक्त पुरस्कारों के लिए समाज के गणमान्य साहित्यकारों, संगीतज्ञों एवं कलाकारों से निवेदन है कि अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित परिचय (बायोडेटा/प्रोफाइल) 10 अक्टूबर, 2016 को सायं 5 बजे तक ‘अनुष्टुप, 13, गायत्री नगर, सोडाला, जयपुर-302006 अथवा 54/151, देवर्षि सदन, पंचवटी मार्ग, मान सरोवर, जयपुर-302020 के पते पर बंद लिफाफे में भिजवाने का श्रम करें। कृपया अपना मोबाइल/टेलीफोन नम्बर सूचित करें।
शोध-शास्त्री सम्मान:
शैक्षणिक वर्ष 2015-16 के दौरान पी.एच.डी./डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले शोध-शास्त्री डिग्री/प्रमाणपत्र की प्रमाणित प्रति एवं पासपोर्ट साइज की दो नवीनतम फोटो (एक समाचार-पत्र के लिए और दूसरी प्रमाणपत्र पर चिपकाने के लिए) के साथ निम्न निर्धारित प्रपत्र में भिजवाएं।
शोधशास्त्री सम्मान हेतु प्रपत्र
स्नातकोत्तर उपाधि किस विश्वविद्यालय से ग्रहण की, श्रेणी, विषय व वर्ष ------------------------------
पी.एच.डी./डॉक्टरेट में शोध का विषय---------------------------------------------विश्वविद्यालय का नाम----------------------------------------------------------
पी.एच.डी.की डिग्री अवार्ड होने का वर्ष-------------------------------------------
किसके निर्देशन में शोध किया-----------------------------------------------------
क्या शोध प्रकाशित भी हुआ है ,यदि हां तो प्रकाशक का नाम---------------------
क्या आप जोब में हैं, यदि हां, तो प्रतिष्ठान का नाम--------------------------------
आप वहां किस पद पर पदस्थापित हैं ---------------------------------------------
हस्ताक्षर-------------------------------
पूरा नाम-------------------------------
मोबाइल/टेलीफोन नम्बर----------------------
प्रविष्टि की अन्तिम तिथि तथा पता
प्रविष्टि 10 अक्टूबर, 2016 को सायं 5 बजे तक अनुष्टुप, 13, गायत्री नगर, सोडाला, जयपुर-302006 अथवा 54/151, देवर्षि सदन, पंचवटी मार्ग, मान सरोवर, जयपुर-302020 के पते पर भिजवाएं। विलम्बित प्रविष्टियां अस्वीकार्य होंगी।
डा. प्रेमचन्द गोस्वामी-स्मृति पुरस्कार:
समाज के ख्यातनाम चित्रकार, साहित्यकार एवं पत्रकार रहे डा. प्रेमचन्द्र गोस्वामी की स्मृति में लेखन, चित्रकला एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सजातीय पुरूष/महिलाओं से “डॉ० प्रेमचन्द्र गोस्वामी स्मृति-पुरस्कार” के लिए निर्धारित प्रपत्र में प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। इस वर्ष यह पुरस्कार चित्रकला के लिए प्रदान किया जाएगा। प्रस्ताव स्वयं के द्वारा अथवा अनुशंशक द्वारा भिजवाए जा सकते हैं। इस पुरस्कार के अन्तर्गत चयनित व्यक्ति (पुरूष/महिला) को रू0 5100, -की नकद राशि एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। यह पुरस्कार डा. प्रेमचन्द्र गोस्वामी के सुपुत्र श्री तटस्थ गोस्वामी द्वारा प्रायोजित किया गया है।
पुरस्कार हेतु चयन करते समय पिछले तीन वर्षों की उपलब्धियों एवं उत्कृष्ट प्रदर्शन को योग्यता का आधार बनाया जाएगा। अतः पुरस्कार हेतु घोषित विधा में आवेदन करते समय आवेदक अपने तीन वर्षों की उपलब्धियों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करेंगे।
इस वर्ष चित्रकला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सजातीय महिला/पुरुष निर्धारित प्रारूप में स्वयं अथवा अन्य व्यक्ति की अनुशंशाएं (जिस पर मूल रचनाकार की सहमति आवश्यक है), आमन्त्रित हैं।
प्रविष्टि की अन्तिम तिथि:
आवेदन एवं अनुशंशाएं दिनांक 10 अक्टूबर, 2016 तक तैलंग कुलम समाज के कार्यालय के पते सचिव, तैलंग-कुलम समाज 13, गायत्री नगर, सोडाला-302006 अथवा 54/151, देवर्षि सदन, पंचवटी मार्ग, मान सरोवर, जयपुर-302020 में पहुंचाना सुनिश्चित करावें ताकि पुरस्कार के लिए प्राप्त आवेदन एवं अनुशंशाओं पर निर्णायक समिति द्वारा निर्णय लिया जाकर पुरस्कार की घोषणा की जा सके। “डा0 प्रेमचन्द्र गोस्वामी स्मृति-पुरस्कार: 2016” के लिए पुरस्कार के दावे के लिए किसी अन्य संस्था द्वारा प्रदत्त पुरस्कारों को विषिष्टता/प्राथमिकता प्रदान नहीं की जाएगी।
निर्णायक समिति का निर्णय अन्तिम और मान्य होगा जिसके विरूद्ध कोई आपत्तियां स्वीकार्य नहीं होगी।
“डा0 प्रेमचन्द्र गोस्वामी स्मृति-पुरस्कार: 2016” के लिए(चित्रकला के क्षेत्र में)
आवेदन प्रारूप
(स्वयं के स्तर पर सादे कागज पर (ए-4 साइज) में आवेदन पत्र हस्तलिखित एवं प्रिन्टेड प्रस्तुत करें )आवेदन/अनुशंशा करने वाले का नाम एवं पता:-----------------------------------
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जन्म तिथि एवं आयु:----------------- शिक्षाः--------------------------------
01 अप्रेल 2014 से 31 मार्च, 2016 की अवधि में आवेदक द्वारा प्रदर्शित एकल एवं सामूहिक प्रदर्शनी का विवरण--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
उक्त अवधि में चित्रकला के क्षेत्र में आवेदक द्वारा प्राप्त अन्य उपलब्धियों का विवरण: ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
उक्त अवधि में आवेदक की कोई बहुवर्वित कृति जिसका वह उल्लेख करना चाहे:-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
उक्त अवधि में आवेदक चित्रकार को प्राप्त पुरस्कार/सम्मान/उपाधि आदि का विवरण:(प्रमाण संलग्न कराए जा सकते हैं।)
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आवेदन/अनुशंशा करने वाले का
नाम एवं हस्ताक्षर
पता एवं मोबाइल/टेलीफोन नं.
नोट: उयर्युक्त समस्त केटेगरीज के आवेदकों से निवेदन है कि वे अपने प्रस्ताव स्पीड पोस्ट सेवा के जरिए भिजवाएं ताकि प्रस्तावों की नियत अवधि तक प्राप्ति होना सुनिश्चित हो सके। -आयोजन समिति)
रामादेवी भट्ट संस्कृति संवर्धन सम्मान:
श्रीमती रामादेवी भट्ट (1912-2002) एक विलक्षण महिला थीं जिन्होंने अपने स्नेहमय व्यक्तित्व से बृहत् तैलंग-कुलम् की विशिष्टता, मर्यादा, अस्मिता, परम्परा, शिष्टाचार, खान-पान, वेश-भूषा, संस्कृति, संगीत, आदि के संयोजन, संरक्षण, और संवर्धन में आजीवन अमूल्य व अविस्मरणीय योगदान दिया। एक ममतामयी लोकोपकारक महिला के रूप में श्रीमती रामादेवी का जीवन-दर्शन अनुकरणीय रहा है। उन्होंने कोई औपचारिक उपाधियाँ नहीं लीं, किन्तु उनका ज्ञान व विवेक अत्यंत प्रभावशाली था।
उन्होंने बाल्यावस्था में ही अपने एक नेत्र की ज्योति खो दी थी, किन्तु वे सूक्ष्म से सूक्ष्म स्वरूप का कार्य कर सकती थीं और उत्कृष्ट पाकशास्त्री थीं। वे भट्ट-तैलंग-गोस्वामी समुदाय के हित में प्रत्येक परिवार के सार्वजनिक और सामुदायिक कार्य के लिए आवश्यकतानुसार सलाह, संरक्षण, सुझाव, निर्देश, सहायता, सम्मति, या समर्थन से आजीवन अपनी गरिमामय उपस्थिति के साथ उपलब्ध रहती थीं। उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि वे सभी व्यक्तियों पर बिना किसी भेदभाव के अपना अपार स्नेह समान रूप से बरसाती थीं। चूंकि वे जीवनपर्यंत प्रत्येक व्यक्ति की यथासम्भव सहायता और सहयोग के लिए हमेशा सुलभ रहीं, हमने उनका महत्त्व उस समय तो जाना ही, वस्तुतः आज भी उनकी पावन-स्मृति और उनके कार्यकलाप हमारे प्रेरणा-स्रोत बने हुए हैं।
‘भट्ट-तैलंग-गोस्वामी समुदाय की महिलाओं के प्रति उनका स्नेह, विश्वास व सद्भावना एक अन्य ऐसा पक्ष है जिसका अनुरक्षण व पोषण वे निरंतर करती रहीं। समुदाय के परिवारों के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यों में महिलाओं की महती भूमिका को वे सदा महत्त्व देती थीं और उसका समुचित आदर करती थीं। उनका यही सोच इस सम्मान के प्रायोजकों के मानस पर अंकित रहा है और उसी अनुराग के प्रति अपना आदर व्यक्त करने के लिए उन्होंने एक पुरस्कार “रामादेवी भट्ट संस्कृति संवर्धन सम्मान”” - की स्थापना की है।
सन् 2015 से (रु. 5001,पांच हज़ार एक रुपये) के उक्त पुरस्कार, शाल व श्रीफल द्वारा प्रतिवर्ष एक ऐसी विशिष्ट महिला का सम्मान करने की योजना है जिसका भट्ट-तैलंग-गोस्वामी समुदाय की परम्पराओं, रीति-रिवाज़ों, संस्कारों, सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक आयोजनों, शिष्टाचार, संगीत, आदि के संयोजन और संरक्षण में प्रशंसनीय भूमिका रही है। ‘तैलंग-कुलम् समाज ऐसी आदरणीय महिलाओं के विषय में स्वयं उन्हीं के द्वारा या अन्य आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त कर समिति को उपलब्ध कराएगी, जिसकी अनुशंसा से यह सम्मान प्रतिवर्ष समाज की वयोवृद्ध महिला को जिसका सामुदायिक संस्कृति के संवर्द्धन में विषिष्ट योगदान रहा हो, को इस सम्मान के प्रायोजकों द्वारा समाज के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।
मातृ-स्मृति कोष:
इस कोष का गठन 2013 में किया गया था। जो पुत्र/पुत्रियां मातृ वियोग की पीड़ा सहन कर रहे हैं तथा अपनी जन्मदात्री मां की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाए रखना चाहते हैं, वे इस कोष में 1100 रू. वार्षिक का आर्थिक सहयोग प्रदान कर सकते हैं। इस राशि का उपयोग प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन राशि प्रदान कर किया जाता है। इस लिहाज से शैक्षणिक विकास में इस कोष की महती भूमिका रहेगी।
सदस्यता अभियान:
इस वर्ष समारोह में भाग लेने वाले सभी महानुभावों का समाज का प्राथमिक सदस्य बनना अनिवार्य किया गया है। सदस्यता शुल्क प्रति परिवार 200 रू. निर्धारित किया गया है। विवाहित पुत्र/पुत्री को परिवार की इकाई माना गया है। माता-पिता की सदस्यता के लिए या तो वे स्वयं अथवा जिस पुत्र/पुत्री के पास वे निवास की रहे हैं, वह उत्तरदायी होगा। इस उद्देश्य से माता-पिता स्वतंत्र इकाई माने जाएंगे।
सामूहिक-भोज:
इस वर्ष 6 नवम्बर, 2016 को सामूहिक भोज का भी आयोजन किया गया है जिसके लिए प्रति व्यक्ति 150 रू. का कूपन जारी किया जाएगा। 10 वर्ष तक के बच्चो को कूपन से मुक्त रखा गया है। समारोह एवं सामूहिक भोज के लिए स्थान का चयन किया जा रहा है। फाइनल होते ही इसी माध्यम से सूचित किया जाएगा। सभी से निवेदन है कि अधिक से अधिक संख्या में कूपन ले कर समारोह के सह भागी बनें।
कूपन एवं सदस्यता की संकलित करने के लिए जयपुर को जोनवार विभक्त कर जोनवार दल बनाए गए हैं। तदनुसार समाज का प्रतिनिधि आपसे यथासमय सम्पर्क करेगा। कृपया उन्हें अपना अपूर्व सहयोग प्रदान करें तथा कूपन व सदस्यता ग्रहण कर नियत शुल्क प्रदान करने का श्रम करें।
समस्त पदाधिकारी एवं सदस्य व आयोजन समिति
दिनांक 21 सितम्बर, 2016 तैलंग-कुलम् समाज
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