कोटा। महावीर नगर द्वितीय स्थित छोटे महाप्रभुजी में अन्नकूटोत्सव सोल्लास मनाया गया। सवेरे गोवर्धनपूजा में गिरिराजजी का दुग्धाभिषेक किया गया और बाद में प्रभू ने अन्नकूट अरोगा। परम्परानुसार अन्नकूट में छत्तीस सामग्री तैयार की गयी थीं। पुष्टियमार्गीय सम्प्रादाय के मंदिरों में भगवान् श्री कृष्ण के बाल स्वरूप में ब्रज की लीलाओं को पोषित किया जाता है, इंद्रदमन लीला के बाद गोवर्धन पर्वत की तलहटी में ब्रज में ग्वाल बाल सहित पूरे कुनबे के साथ भोजन के लिए मंदिरों में ‘कुनवाड़ा’, ब्रज के तीर्थ बरसाने में छप्पन कटोरा स्थान पर राधारानी के पिता वृषभान जी ने राधा के साथ श्री कृष्ण के विवाह के सुअवसर पर भोजन दिया था वह छप्पन भोग के नाम से प्रख्यात है और मंदिरों में उसी परम्परा को निभाते हुए मंदिरों में शरदोत्सव स्वरूप कुनवाड़े और छप्प्नभोग के मिले जुले स्वरूप में अन्नोकूटोत्सव मनाया जाता है, जिसमें गोवर्धनपूजा भी होती है, जो गोवंश के संरक्षण के संकल्प का द्योतक है और अन्नकूट में छत्तीस प्रकार की सामग्री का प्रचलन भी है। सवेरे 10 बजे अन्नकूट के दर्शन खोले गये। दर्शनार्थियों ने अन्नकूट के दर्शन का लाभ उठाया। मंदिर की अध्यक्षा गोस्वामी रेणुका बहुजी अस्व्स्थ होने के कारण मथुरा से नहीं पधार सकीं, महावीर नगर स्थित उनकी पुत्री ब्रजप्रिया बेटीजी ने अन्नकूट की सेवा की। उन्होंने सामग्री के बारे में बताया कि छत्तीस सामग्रियों में सखरी, अनसखरी, फल, दूधघर और सूखे मेवों का भोग लगाया जाता है। सर्दी के कारण प्रभू हटड़ी में बिराजते हैं। शरद ऋतु खूब खाने पीने और पहनने का मौसम है, इसलिए इसमें सबसे पहले प्रभू को अर्पित किया जाता है, तत्पश्चात् पूरे शरदकाल में सब खूब खाओ। बाल स्वरूप के मनुहार में सभी प्रकार की सामग्री ऋतु के आरंभ में प्रभू को अरोगाई जाती हैं।
अन्नकूट में सखरी में चावल को कोट, सभी प्रकार की मौसमी सब्जियाँ जैसे, मेथी, पालक, बैंगन, आलू आदि, दालें, कढ़ी, पाँच प्रकार के भात, पगी हुई अर्थात अनसखरी में मिठाइयाँ जैसे गुंझिया, मेवाबाटी, ठौर, मठड़ी, दीवला, घेवर, बाबर, बूरा बुरकी, लौंगवटी, कोट पर सजाने के लिए शंख, चक्र, गदा, पद्म और शिखर, चार पाँच प्रकार के लड्डू, मैसू पाक, मोहनथार, आदि, फलों में मौसमी फल जैसे सीताफल, सिंघाड़ा, केला, सेब, अनार और सूखे मेवे में काजू, बादाम, दूधघर में काजू कतली, बादाम पाक, गिरी पाक, माखन-मिश्री, मेवाबाटी आदि का भोग लगाया गया।
अन्नकूट में सखरी में चावल को कोट, सभी प्रकार की मौसमी सब्जियाँ जैसे, मेथी, पालक, बैंगन, आलू आदि, दालें, कढ़ी, पाँच प्रकार के भात, पगी हुई अर्थात अनसखरी में मिठाइयाँ जैसे गुंझिया, मेवाबाटी, ठौर, मठड़ी, दीवला, घेवर, बाबर, बूरा बुरकी, लौंगवटी, कोट पर सजाने के लिए शंख, चक्र, गदा, पद्म और शिखर, चार पाँच प्रकार के लड्डू, मैसू पाक, मोहनथार, आदि, फलों में मौसमी फल जैसे सीताफल, सिंघाड़ा, केला, सेब, अनार और सूखे मेवे में काजू, बादाम, दूधघर में काजू कतली, बादाम पाक, गिरी पाक, माखन-मिश्री, मेवाबाटी आदि का भोग लगाया गया।
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